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मध्यप्रदेश अधिनियम क्रमांक 37 सन 1982

मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अधिनियम 1982 विषय सूची

धाराएं :

मध्यप्रदेश अधिनियम क्रमांक 37 सन 1982 मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अधिनियम 1982
दिनांक 30 अक्टूबर 1982 को राजयपाल की अनुमति प्राप्त हुइ अनुमति मध्यप्रदेश राजपत्रा असाधारणद्ध में दिनांक 30 अक्टूबर 1982 को प्रथमबार प्रकाशित की गर्इद्ध
राज्य के पशुधन एवं कुक्कुट संसाधनों का विकास करने तथा उनके वैज्ञानिक प्रबंध के लिए व्यवस्था करने की दृषिट से परियोजनाओं के निष्पादन के लिए एक निगम की स्थापना करने तथा उससे ससक्त विषयों के लिए उपलब्ध करने हेतु अधिनियम. भारत गणराजय के तैतीसवे वर्ष में मध्यप्रदेश विचार मण्डल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमितहो

अध्याय 1
1.1 इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अधिनियम संक्षिप्त नाम और विस्तार 1982 है.
1.2 इसका विस्तार सम्पूर्ण मध्यप्रदेश राज्य पर है
2. इस अधिनियम में अब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो –
बैंक से अभिप्रेत है- संबद्व बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 ;1949 का स. 10द्ध में यथापरिभाषित कोर्इ बैंककारी कम्पनी संबद्व भारतीय रिर्जव बैंक अधिनियम 1934 ;1934 का सं. 2द्ध में यथापरिभाषित कोर्इ अनुसूचित बैंक संबद्व मध्यप्रदेश को-आपरेटिव सोसायटीज एक्ट 1960 ;क्रमांक 17 सन 1961द्ध में यथापरिभाषित कोर्इ वित्तदायी बैंक।

ख. बोर्ड से अभिप्रेत है धारा 7 के अधीन गठित किया गया निगम का निदेशक बोर्ड
ग. वित्तदायी संस्था से अभिप्रेत है भारत में स्थापित कोर्इ कानूनी निगम या अन्य निगमित निकायजिसके उददेश्यों में से एक उददेश्य भारत से कृषि का वित्तपोषण करना हो और जिसे राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए वित्तदायी संस्था के रूप में अधिसूचित करे।
घ. भूमि का वही अर्थ होगा जो मध्यप्रदेश लैण्ड रेवेन्यू कोट, 1959 ;क्रमांक 20 सन 1959द्ध में उन अभियकित के लिए किया गया है।
ड. निगम से अभिप्रेत है उस अधिनियम के अधीन स्थापित मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम।
च. परियोजना से अभिप्रेत है नियम 22 के अधीन अनुमोदित पशुधन एवं कुक्कुट विकास की कोर्इ परियोजना या स्कीम।
छ. विनियम से अभिप्रेत है निगम द्वारा धारा 38 के अधीन बनाए गए विनियम ज. वर्ष से अभिप्रेत है प्रतिवर्ष 1 जुलार्इ से प्रारंभ होने वाली तथा 30 जून को समाप्त होने वाली कालावधि.

1. संक्षिप्त नाम और विस्तार

2. संक्षिप्त नाम और विस्तार

मध्यप्रदेश राजय पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की स्थापना तथा उसका गिमन।

3- 1. ऐसी तारीख से जिसे राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा यित करे इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए एक निगम की स्थापना की जायेगी जो मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के नाम से जाना जायेगा।

2. निगम पूर्ववत नाम से एक निगमित निकाय होगा, जिसका शाष्वत उतराधिर होगा तथा जिसकी सामान्य मुद्रा होगी ओर जिसे इस अधिनियम के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए जंगम तथा स्थावर दोनों प्रकार की संपतित अर्जित करने, धारण करने और उसका व्ययन करने की, और संविदा करने की शकित होगी और जो उक्त नाम से बाद चलायेगा तथा जिसके विरूद्ध उक्त नाम से वाद चलाया जायेगा। निगम का प्रधान कार्य

4- निगम का प्रधन कार्यालय भोपाल में होगा निगम की पूंजी

5- 1. निगम की प्राधिकृत पूंजी दो करोड़ रूपए से अनधिक ऐसी राशि की होगी जोकि राज्य सरकार समय समय पर नियत करे.

2. राज्य सरकार को यह शकित होगी कि वह उस राशि के संबंध में जिसका कि प्रावधन राज्य सरकार द्वारा निगम की पूंजी के रूप में किया जाय, ऐसे निबन्धन तथा शर्ते अधिरोपित करे जैसी कि वह ठीक

3. मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की स्थापना तथा उसका निगमन

4. निगम का प्रधान कार्यालय

5. निगम की पुषिट

प्रबन्ध
6- 1. निगम के कार्यकलाप तथा करोबार का साधरण अधीक्षण, निदेशन तथा प्रबंध निदेशक बोर्ड में निहित होगा जो ऐसी समस्त शकितयों का प्रयोग कर सकेगा तथा ऐसे समस्त कार्य और बातें कर सकेगा जिनका कि प्रयोग निगम द्वारा इस अधिनियम के अधीन किया जा सकता है या जो निगम द्वारा इस अधिनियम के अधीन की जा सकती है. 2. निदेशक बोर्ड, अपने कृत्यों का पालन करने में, लोकहित का ध्यान रखते हुए कारबार संबंधी सिद्धांतों के अनुसार कार्य करेगा और नीति विषयक प्रश्नों पर ऐसे निर्देशों से मार्गदर्शित होगा जो उसे राजय सरकार द्वारा समय समय पर दिए जायें।

बोर्ड का गठन
 7-
1. निगम का निदेशक बोर्ड अध्यक्ष जो कि राज्य सरकार द्वारा नाम निर्दिष्ट किया जायेगा तथा निम्नलिखित अन्य निदेशकों से मिलकर बनेगा अर्थात:- सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पशुपालन विभाग, और यदि कोर्इ सचिव न हो तो उस विभाग का विशेष सचिव, जो उपाध्यक्ष होगा
. सचिव, मध्यप्रदेश शासन, वित विभाग या उसका नाम निर्देशिती जो उप सचिव की पदश्रेणी से निम्न पदश्रेणी का न हो
. संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं मध्यप्रदेश
.रजिस्ट्रार सहकारी सोसाइटियां मध्यप्रदेश
  धारा 10 के अधीन नियुक्त किया जाने वाला प्रबंध निदेशक,
  बैंकों तथा वित्तदायी संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक निदेशक जो राज्य सरकार द्वारा नामनिदिष्ट किया जायेगा।
  पशुधन एवं कुक्कुट विकास के बारे में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाला एक निदेशक जो राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट किया जायेगा।
पशुधन एवं कुक्कुट उत्पादन तथा विपणन का व्यवहारिक अनुभव रखने वाले दो निदेशक जो राजय सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट किए जायेंगे।
पशुधन एवं कुक्कुट विषयक व्यावहारिक अनुभव रखने वाला अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का एक प्रतिनिधि, जो राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट किया जाएगा।
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविधालय निदेशक उसे नामनिर्दिष्ट करने वाले प्राधिकारी के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेगा किन्तु उसके पद की अवधि उसके नामनिर्देशन की अधिसूचना की तारीख से तीन वर्ष से अधिक की नहीं
2.अध्यक्ष या कोर्इ नाम निर्दिष्ट निदेशक उसे नामनिर्दिष्ट करने वाले प्राधिकारी के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेगा किन्तु उसके पद की अवधि उसके नामनिर्देशन की अधिसूचना की तारीख से तीन वर्ष से अधिक की नहीं होगीयधपि अध्यक्ष या कोर्इ नामनिर्दिष्ट निदेशक, क्रमश: राज्य सरकार को तथा बोर्ड के अध्यक्ष को स्वहस्ताक्षरित पत्रा भेजकर अपना पद किसी भी समय त्याग सकेगा और त्यागपत्रा उसके प्राप्त होने की तारीख से प्रीाावी होगा।
3.अध्यक्ष या किसी नाम निर्दिष्ट निदेशक की मृत्यु हो जाने उसके द्वारा पद तयाग कर दिये जाने, उसके निरहित हो जाने या उसे हटाये जाने की दशा में, वह रिक्त नामनिर्देशन द्वारा यथासंभव शीघ्र भरी जाएगी।

  निगम का निदेशक होने के लिए निर्हता
8
1. कोइ भी व्यकित निगम के निर्देशक के रूप में नामनिर्दिष्ट किये जाने या नियुकत किये जाने के लिये तथा निगम का निदेशक होने के लिये निरहित होगा –
यदि वह न्यायनिर्णीन दिवालिया है या किसी भी समय न्यायनिर्णीन दिवालिया रहा है या उसने अपने ऋण का भुगतान निलंबित कर दिया है या आपके लेनदारों के साथ प्रशमन कर लिया है, या यदि वह विकृत चित्त का है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा होना घोषित कर दिया जाता है, या
यदि उसे पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 ;1960 का सं. 59द्ध सें प्राविन्सेस एण्ड बरार स्लाटर आफ एनीमल्स एक्ट, 1915 ;क्रमांक 4 सन 1915द्ध या मध्यप्रदेश कषिक पशु परिरक्षण अधिनियम 1959 ;क्रमांक 18 सन 1959द्ध के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराया जाता है या ठहराया जा चुका है, या
यदि उसे सरकार की या किसी ऐसे निगम की जिस पर केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार का स्वामित्व या नियंत्राण है, सेवा से हटा दिया जाता है या पदच्युत कर दिया जाता है, या
यदि वह किसी ऐसी रीति में कार्य करता है जो निगम के हित के प्रतिकूल है या किसी ऐसे निकाय, संस्था या संगठन में कोर्इ हित रखता है जिसके कि्रयाकलाप निगम के हित के प्रतिकूल है.
2.यदि निगम का कोर्इ निर्देशक उपधारा ;1 में वर्णित निरर्हताओं में से किसी भी निरर्हता से ग्रस्त हो जाता है तो वह राजय सरकार द्वारा जारी की गर्इ इस आशय की अधिसूचना की तारीख से निगम का निदेशक नहीं रहेगा।

नामनिर्दिष्ट निदेशकों द्वारा पद का रिक्त किया जाना
9.
1. यदि कोर्इ नामनिर्दिष्ट निदेशक
धारा 8 में वर्णित निरर्हताओं में से किसी निरर्हता के अध्यधीन हो जाता है, या बोर्ड की इजाजत के बिना, उसके तीन से अधिक क्रमवती्र समिमलनों में ऐसे कारण के बिना अनुपसिथत रहाता है जो उसकी अनुपसिथति की माफी के लिये, राज्य सरकार की राय में पर्याप्त है, है तो राज्य सरकार यह घोषित कर सकेगी कि उक्त निदेशक के संबंध में यह समझा जाएगा कि उसने इस आशय की अधिसूचना की तारीख से अपना पद रिक्त कर दिया है और तदुपरि उसका स्थान रिक्त हो जाएगा
2. कोर्इ ऐसा निदेशक, जिसका पद उपधारा
1 के अधीन रिक्त घोषित कर दिया गया हो, बोर्ड में निदेशक के रूप में पुन: नामनिर्दिष्ट किया जाने के लिये या निगम में किसी भी हैसियत में नियोजित किया जाने के लिये पात्रा नही होगा ऐसी शकितयों का प्रयोग तथा ऐसे कर्तव्यों का पालन करेगा जो कि बोर्ड उसे प्रत्यायोजित करे या सौंपे. ऐसा वेतन तथा भत्ते प्राप्त करेगा और सेवा के ऐसे निबन्ध्नों तथा शर्तों द्वारा शासित होगा कि निगम, राज्य सरकार के अनुमोदन से अवधारित करें
10- 1. परन्तु प्रथम प्रबंध निदेशक ऐसा वेतन तथा भत्ते प्राप्त करेगा और सेवा के ऐसे निबंधनों तथा शर्तों द्वारा शासित होगा जैसी कि राज्य सरकार अवधारित करे
     2. राज्य सरकार कोर्इ कारण बताए बिना, प्रबंध निदेशक को किसी भी समय पद से हटा सकेगी.

प्रबंध निदेशक के पद में आकसिमक रिकितयां
11-यदि प्रबंध निदेशक, अंग-शैथिल्य के कारण या अन्यथा, अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो जाता है या छूटटी पर होने के कारण या अन्यथा ऐसी परिसिथतियाें में जिनमें उसके पद की रिक्त अन्तर्वलित नहीं है, अनुपसिथत रहती है तो उक्त अनुसार उसकी अनुपसिथति के दौरान उसके स्थान पर कार्य करने के लिये किसी अन्य व्यकित को नियुक्त कर सकेगी.

निदेशक का पारिश्रमिक
12-धारा 10 में अन्यथा उपबंधित के सिवाय, निदेशकों को बोर्ड के या उसकी समितियों में से किसी समिति के समिमलन में हाजिर होने के लिये तथा निगम का कोर्इ न्य कार्य करने के लिये ऐसी फीस तथा भत्तों का संदाय किया जाएगा जिनका कि विनियमों द्वारा उपबंध किया जाए. परन्तु अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक को या किसी अन्य निदेशक को, जो राज्य सरकार का या केन्द्रीय सरकार का मंत्राी या पदाधिकारी है, इस धारा के अधीन कोर्इ फीस देय नहीं होगी.

बोर्ड के समिलन
13- 1. बोर्ड ऐसे समयों पर तथा ऐसे स्थानों पर समिमलन करेगा और अपने समिमलनों में कामकाज के संपादन के संबंध में प्रकि्रया के ऐसे नियमों का अनुपालन करेगा जो विनियमों द्वारा उपबंधित किए जाएं परन्तु बोर्ड प्रत्येक तीन मास में कम से कम एक बार समिमलन करेगा.
2. बोर्ड का अध्यक्ष या, उसकी अनुपसिथति में कोर्इ अन्य ऐसा निदेशक, जो समिमलन में उपसिथत निदेशकों द्वारा चुना गया हो, समिमलन की अध्यक्षता करेगा
3. बोर्ड के किसी समिमलन के समक्ष आने वाले समस्त मामले, उपसिथत तथा मत देने वाले निदेशकों के बहुमत से विनिशिचत किए आएंगे और मतों के बराबर-बराबर होने की दशा में समिमलन की अध्यक्षता करने वाले व्यकित का द्वितीय या निर्णायक मत होगा।
4. यदि बोर्ड किसी विशिष्ट मामले पर किसी व्यकित की सलाह या राय लेना आवश्यक समझता है, तो बोर्ड ऐसे व्यकित को बोर्ड के किसी समिमलन में हाजिर होने के लिये आमंत्रित कर सकेगा. ऐसे आमंत्रित व्यकित को ऐसे समिमलन में की किसी भी चर्चा में भाग लेने का अधिकार होगा किन्तु उसे ऐसे समिमलन में मत देने का अधिकार नहीं होगा।

बोर्ड की समितियां
14- 1. बोर्ड इतने निदेशकों से, जितने कि विनियमों द्वारा उपबंधित किए जाएं, मिलकर बनने वाली एक या अधिक कार्यकारिणी समितियां इस हेतु से गठित कर सकेगा कि वे ऐसे कृत्यों का निर्वहन करें जो उन्हें बोर्ड द्वारा प्रत्यायोजित किए जाएं।
2. बोर्ड, निगम के कि्रयाकलापों से संबंधित ऐसे प्रयोजनों के लिये, ऐसी समितियां, जैसा कि वह विनिशिचत करे, गठित कर सकेगा जो या तो पूर्णत: निदेशकों से या पूर्णत: अन्य व्यकितयों से, जैसा कि वह ठीक समझे, मिलकर बनेगी।
3. किसी समिति के ऐसे सदस्यों को, जो निगम के निदेशकों से भिन्न हो, उसके समिमलिन में हाजिर होने के लिये तथा निगम का कोर्इ अन्य कार्य करने के लिये निगम द्वारा ऐसी फीस और या भत्तों का संदाय किया जाएगा जिनका कि विनियमों द्वारा उपबंध किया जाए।

बोर्ड का या उसकी समिति का सदस्य कतिपय मामलों में भाग नहीं लेगा या उनमें मत नहीं देगा.
 15- निगम का कोर्इ ऐसा निदेशक या किसी समिति का कोर्इ ऐसा सदस्य जो बोर्ड के या उसकी किसी समिति के समिमलन में विचारार्थ आने वाले किसी मामले में धन संबंधी कोर्इ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हित रखता है, अपने हित की प्रकृति को ऐसे समिमलन में प्रकट करेगा और ऐसा प्रकटन यथासिथति बोर्ड या समिति के कार्यवृत में अभिलिखित किया जाएगा, और ऐसा निदेशक या सदस्य उन मामले के संबंध में बोर्ड या समिति द्वारा किए जाने वाले किसी विचार-विमर्श या विनिश्चय में ऐसा स्पष्टीकरण, जिसकी उससे अपेक्षा की जाय, देने के सिवाय कोर्इ भाग नहीं लेगा।

प्रबंध निदेशक नियुकित प्रधिकारी होगा
16- निगम की ओर से कार्य करने वाला प्रबंध निदेशक नियुकित प्राधिकारी समझा जायेगा ओर वह निगम द्वारा नियोजित समस्त कर्मचारीवन्द के बारे में ऐसे प्राधिकारी की समस्त शकितयों का प्रयोग करेगा प्रबंध निदेशक द्वारा इस संबंध में किए गए आदेश के विरूद्ध अपील बोर्ड के अध्यक्ष को ऐसी रीती में होगा जो विनियमों द्वारा उपबंधित की जाए.

सरकारी विभाग से निगम को स्थानांतरित किये गये कर्मचारी की सेवा की शर्ते
1. धारा 29 के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए कोर्इ ऐसा पदधारी जो निगम की प्रार्ािना पर राज्य सरकार द्वारा अपने किसी विभाग से निगम को स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से स्थानान्तरत किया गया है, उपदान ;ग्रेच्युटीद्ध संबंधी, पेशनिक फाश्यदों तथा किन्हीं अन्य फायदों संबंधी समस्त ऐसे विशेषाधिकारों का उपभाग करेगा जिनका कि वह पदधारी राज्य सरकार में के अपने मूल विभाग में सेवा करते रहतने की दशा में हकदार होगा।
2. उपधारा 1 में विनिर्दिष्ट किया गया कोर्इ पदधारी, निगम में नियोजित रहने की अवधि के दौरान निगम के अनुशासनिक नियंत्राण के अध्यधीन रहेगा।

7. प्रबंध

8. बोर्ड का गठन

9. निगम का निदेशक होने के लिए निरर्हता

10. नामनिर्दिष्ट निदेशकों द्वारा पद का रिक्त किया जाना

11. प्रबंध निदेशक

12. प्रबंध निदेशक के पद में आकसिमक रिकितयां

13. निदेशकों का पारिश्रमिक

14. बोर्ड का संविलियान

15. बोर्ड की समितियां

16. बोर्ड का या उसके सामान का सदस्य कतिपय मामलों में भाग नहीं लेगा या उनमें मत नहीं दिया.

17. प्रबंध निदेशक नियुकित प्राधिकार होगा

18. सरकारी विभाग से निगम की स्थानान्तरित किये गये कर्मचारियों की सेवा की शर्ते

वह कामकाज जो निगम कर सकेगा
18.
निगम का मुख्य कामकाज होगा पशुधन और पशुधन उत्पादों ;दुग्ध और दुग्ध उत्पादों को छोड़करद्धका तथा कुक्कुट और कुक्कुट उत्पादों का उत्पादन, उपापन ;प्रोक्योरमेंटद्ध संग्रहण, पालन-पोषण और विपणन करना और पशुधन तथा कुक्कुट का संरक्षण, प्रबंध और विकास करना जिससे कि राज्य में पशुधन तथा कुक्कुट उत्पादन में सुधर हो सके, उसकी समद्धि हो सके और उसमें

निगम की उधर लेने की शकित
9- 1. निगम निधियां जुटाने के प्रयोजन के लिये, राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से, ब्याज बंधपत्रा औरर् डिवेंचर पुरोधृत कर सकेगा और बेच सकेगा। परन्तु पुरोधृत और परादेय बंधपत्राों और डिबेंचरों की तथा निगम के अन्य उधारों की कुल रकम, राज्य सरकार के अनुमोदन के बिना किसी भी समय उस पूंजी की रकम के चार गुने से अधिक नहीं होगी जिसका कि उपबंध राज्य सरकार द्वारा धारा 5 के अधीन किया गया हो.
2. निगम इस अधिनियम के अधीन के अपने कृत्यों का निष्पादन करने के प्रयोजन के लिये –
केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार से और किसी ऐसे अन्य प्राधिकरण या संगठन या संस्था से, जो राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित की गर्इ हो, ऐसे निबंधनों और शर्तो पर धन उधर ले सकेगा जैसी कि करार पार्इ जाएं, केंद्रीय सरकार राजय सरकार से या किसी अनुसूचित बैंक या किसी व्यकित से ऐसे निक्षेप, जो उस तारीख से जिसको कि ऐसे निक्षेप किये जाएं ऐसी कालावधि का जो बारह मास से कम हो नहीं होगी, अवसान होने के पश्चात प्रतिसंदेय होंगे, ऐसे निबंधनों पर प्रतिगृहीत कर सकेगा जिन्हें कि निगम, राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से नियत करें। 3. राज्य सरकार निगम के उन बंधपत्राों तथा डिबंचरों को, जो उपधारा 1 के अधीन पुरोधृत किए गए हों ओर निगम द्वारा उपधारा 2 के अधीन लिए गए उधार तथा निक्षेपों को मूलधन का प्रतिसंदाय किये जाने के बारे में तथा ब्याज का संदाय ऐसी दर से किए जाने के बारे में प्रत्याभूत कर सकेगी जो बंधपत्राों या डिबेन्चरों के पुरोधृत किए जाने के समय निगम के निदेशक बोर्ड की सिफारिश पर राज्य सरकार द्वारा नियत की जाए.

निधि के अन्य स्त्राोत
20- 1. निगम अपनी सेवाओं के लिये पारिश्रमिक जिसके अंतर्गत संकर्मो की वह लागत आती है जो निगम द्वारा इस अधिनियम के अधीन उपगत की गर्इो, प्रापत कर सकेगा तथा राज्य सरकार से या किसी व्यकित से दान, अनुदान, सहायिकी, संदाय या कोर्इ उपकृतियां ;वेनीफेक्सन्सद्ध प्रतिगृहीत कर सकेगा।
2. राज्य सरकार निगम के उपयोग के लिए निगम को भवन, भूमि, मशीनरी या कोर्इ अन्यजंगम या स्थावर संपतित भी ऐसे निबंधनों तथा शर्तो पर अन्तरित कर सकेगी जो राज्य सरकार ठीक समझे.

19. वह कामकाज जो निगम कर सकेगा

20. निगम की उधार लेने की शकित

21. निधियों के अन्य स्त्राोत

संकर्मो का निष्पादन
21- निगम की स्वयं या किसी अन्य अभिकरण की मार्फत निष्पादित कर सकेगा।

अध्याय 6 – वित्तीय प्राक्कलन, निधियां, लेखे तथा संपरीक्षा
कि्रयाकलापों का कार्यक्रम तथा वित्तीय प्राक्कलन का प्रस्तुत किया जाना
22- 1. निगम, प्रत्येक वर्ष के संबंध में, अपने कि्रयाकलापों के कार्यक्रम का विवरण तथा साथ ही वार्षिक वित्तीय विवरण, जिसमें उस वर्ष के लिये निगम की प्राक्कलित प्रापितयां तथा व्यय विस्तारपूर्वक दर्शाये जायेंगे, राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा।
2. निगम उपधारा 1 में निर्दिष्ट किये गए विवरण तथा प्राक्कलन को राज्य सरकार के अनुमोदन से पुनरीक्षित या उपान्तरित कर सकेगा।
3. निगम आगामी वर्ष के दौरान निष्पादित किए जाने वाले कार्यक्रम तथा विभिन्न कि्रयाकलापों संबंधी परियोजना के ब्यौरे राज्य सरकार को प्रतिवर्ष प्रस्तुत करेगा।
4. राज्य सरकार या तो परियोजना को अनुमोदित कर सकेगी या उसका अनुमोदन ऐसे उपान्तरणों के साथ कर सकेगी जैसे कि वह आवश्यक समझे अथवा उस परियोजना को उपान्तरित किए जाने हेतु या ऐसे निदेशें के अनुसार जैसे कि राज्य सरकार समुचित समझे नर्इ परियोजना तैयार किए जाने के हेतु वह परियोजना निगम को लोटा सकेगी.

निगम की निधि
23- 1. निगम की अपनी स्वयं की निधि होगी और वह उसे बनाए रखेगा, तथा निगम की समस्त प्रापितयां उसमें जमा की जाएगी तथा निगम द्वारा समस्त संदाय उसमें से किए जायेंगे
। 2. नगम की निधि का उपयोजन निगम द्वारा अपने समस्त प्रशासनिक व्ययों की पूर्ति करने के लिये तथा उस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यानिवत करने के लिये किया जाएगा।
3. निगम ऐसी राशिं, जिनकी कि उसे अपनी संकि्रयाओं के लिए आवश्यकता हो, किसी बैंक में निक्षिप्त कर सकेगा और अधिशेष ऐसी रीति से, जो राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित की जाए, विनिहित किया जा सकेा.

निगम के तुलनापत्राों आदि का तैयार किया जाना
24- 1. बोर्ड निगम की वहियों तथा लेखाओं को, जैसे कि वे प्रतिवर्ष तीस जून को हो, संतुलित करवाएगा तथा बंद करवाएगा.
2. निगम का तुलना पत्रा तथा लेखे ऐसी रीति से तैयार किए जाएंगे तथा बनाए रखे जायेंगे जो विनियमों द्वारा विहित की जाए.

अधिशेष लाभ का आवंटन
25- 1. निगम एक आरक्षित निधि स्थापित करेगा जिससे उसके वार्षिक शुद्ध लाभों का ऐसा भाग जिसे निगम ठीक समझे, प्रतिवर्ष जमा किया जाएगा.
2. ऐसी आरक्षित निधि के लिए तथा डूबंत और शंकास्पद ऋणों के लिये और समस्त ऐसे अन्य विषयों के लिये जिनके लिये कंपनी अधिनियम, 1956 ;1956 का सं. 1द्ध के अधीन रजिस्ट्रीकृत तथा निगमित कंपनी द्वारा प्रायिक रूप से उपबंध किया जाता है, उपबंध करने के पश्चात निगम के वार्षिक शुद्ध लाभों के अतिशेष का संदाय राजय सरकार को किया जाएगा।
लेखे तथा संपरीक्षा
26- 1. निगम उचित लेखा बहियां तथा ऐसी अन्य बहियां जो निगमों द्वारा अपेक्षित हों, रखवाएगा तथा लेखाओं का वार्षिक विवरण विहित रीति में तैयार करेगा। 2. निगम अपने लेखाओं की संपरीक्षा प्रतिवर्ष ऐसे व्यकित द्वारा करवाएगा जैसा कि राज्य सरकार निदेशित करे। 3. जैसे ही निगम के लेखाओं की संपरीक्षा हो जाती है, निगम उनकी एक प्रति, उनके संबंध में संपरीक्षक की रिपोर्ट की एक प्रति के साथ राज्य सरकार को भेजेगा और लेखाओं को बिहित रीति से प्रकाशित करवाएगा और उसकी प्रतियां युकितयुक्त कीमत पर विक्रय के लिये रखेगा। 4. निगम ऐसे निदेशों का अनुपालन करेगा जो राज्य सरकार, संपरीक्षक की रिपोर्ट का परिशीलन करने के पश्चात जारी करना ठीक समझे.
विवरणियां
27- 1. निगम राज्य सरकार को समय समय पर ऐसी विवरणियां देगा जिनकी कि राज्य सरकार अपेक्षा करें. 2. निगम, राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष के संबंध में तुलनापत्रा की, जैसा कि वह उस वर्ष की समापित के समय हो एक प्रति तथा उसके साथ ही उस वर्ष का लाभ और हानि लेखा तथा निगम के कार्यकरण संबंधी रिपोर्ट, जिसमें उस वर्ष के दौरान की उसकी नीति तथा कार्यक्रम समिमलित होगा, उस तारीख से, जिसको कि निगम के वार्षिक लेखे बन्द किये जाते है, तीन मास की कालावधि के भीतर देगा। 3. राज्य सरकार, ऐसी रिपोर्ट प्राप्त होने के पश्चात, यथाशक्य शीघ्र उस रिपोर्ट को तथा धारा 26 के अधीन प्राप्त संपरीक्षा रिपोर्ट को विधन सभा के पटल पर रखबाएगी।

22. संकर्मो का निष्पादन

अध्याय 6 – प्रकीर्ण
राज्य सरकार की निर्देश देने की शकित
28- 1. इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों का निर्वहन करने में, निगम नीति विषयक ऐसे मामलों में जिनमें लोकहित अंतर्गत हो, ऐसे निर्देशों से मार्गदर्शित होगा जैसे कि राज्य सरकार उसे लिखित में दे, और यदि कोर्इ ऐसा प्रश्न उदभूत होता है कि क्या वह निर्देश नीति विषयक किसी ऐसे मामले में संबंधित है, जिसमें लोकहित अंतर्गस्त है तो उस पर राज्य सरकार का विनिश्चय अंतिम होगा। 2. जहां निगम उपधारा 1 के अधीन दिए गए राज्य सरकार के निर्देशों को कार्यानिवत करने के परिणामस्वरूप प्रत्यक्षत: कोर्इ हानि उपगत करता है, वहां उस हानि की पूर्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी
सरकारी कर्मचारियों का निगम को स्थानान्तरण.
29- 1. निगम की स्थापना की जाने पर तथा उसके पश्चात राज्य सरकार समय समय पर यह निदेश दे सकेगी कि राज्य सरकार के विधमान अधिकारियों तथा सेवकों में से ऐसे अधिकारियों तथा सेवकों की, जो उसकी राय में उसकी आवश्यकता से अधिक हो गए है, सेवाएं ऐसी तारीख से, जो उसके द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए ;जो इस धारा में इसके पश्चात नियम तारीख के नाम से निर्दिष्ट हैद्ध, समाप्त हो जाएगी और उसके पद उत्सादित हो जाएंगी, ओर वे उस तारीख को ;जो भिन्न-भिन्न अधिकरियों तथा सेवकों के लिये भिन्न भिन्न हो सकेगीद्ध निगम के अधिकरी या सेवक हो जाएंगे. 2. राज्य सरकार का ऐसा प्रत्येक स्थायी या अस्थायी कर्मचारी, जिसके संबंध में उपधारा 1 के अधीन निर्देश जारी किया जाता है, नियत तारीख को तथा नियत तारीख से किसी ऐसे स्थायी या अस्थायी पद पर, जो नियत तारीख से निगम की स्थापना में सृजित हो जाएगा, नियम का यथासिथति स्थायी या अस्थायी कर्मचारी हो जाएगा. 3. इस प्रकार स्थानान्तरित किया गया कोर्इ अधिकारी या सेवक, निगम के अधीन पद उसी अवधि के लिए उसी पारिश्रमिक पर तथा सेवा की उन्हीं अन्य शर्तो पर और पेंशन, उपदान;ग्रेच्युटीद्ध भविष्य निधि तथा अन्य बातों के संबंध में उन्हीं अधिकारों तथा विशेषाधिकारों सहित धारण करेगा जो इस अधिनियम के प्रवृत्ता न होने की दशा में उसे नियत तारीख को अनुज्ञेय हुए होते. राज्य सरकार के अधीन उसके द्वारा की गर्इ कोर्इ सेवा निगम के अधीन की गर्इ सेवा समझी जाएगी. वह निगम के अधीन उस समय तक सेवा में बना रहेगा जब तक कि उसका नियोजन समयक रूप से समाप्त नहीं कर दिया जाता या जब तक कि उसका पारिश्रमिक या सेवा शर्त निगम द्वारा उस विधि के अनुसरण में, जो तत्समय उसकी सेवा शर्तो को शासित करती हो, सम्यक रूप से पुनरीक्षित या परिवर्तित नहीं कर दी जाती। परन्तु किसी ऐसे अधिकारी या सेवक के मामले में नियत तारीख के ठीक पूर्व लागू सेवा शर्तो में कोर्इ ऐसा फेरफार, जो उसके लिए अहितकर हो, राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से ही किया जायेगा अन्यथा नहीं. 4. उपधारा 1 में निर्दिष्ट कर्मचारियों के नामों जो धनराशियां, उनके लिए गठित की गर्इ किसी पेंशन, भविष्य निधि, उपदान या वैसी ही निधियों में जमा हो, वे नियत तारीख तक केलिये शोध्य संचित ब्याज सहित तथा ऐसी निधियों से संबंधित लेखाओं के साथ राज्य सरकार द्वारा निगम को अन्तरित कर ली जाएगी, नियत तारीख को तथा उसके पश्चात निगम, राज्य सरकार को अपवर्जित करके, इस बात के दायित्वाधीन होगा कि वह पेंशन, भविष्य निधि, उपदान या वैसी ही अन्य धनराशियों का जो ऐसे कर्मचारियों को देय हो, समुचित समय पर संदाय उनकी सेवा-शर्तो के अनुसार करें. 5. उपधारा 1 में अन्तविष्ट कोर्इ भी वाद किसी ऐसे कर्मचारी को लागू नहीं होगी जो निगम का कर्मचारी न बनने या निगम का कर्मचारी न बने रहने का अपना आशय, नियत तारीख से दो मास के भीतर या ब़ाए गए ऐसे संय के भीतर, जिसे राज्य सरकार, साधरण या विशेष आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे, राज्य सरकार को दी गर्इ लिखित सूचना द्वारा प्रज्ञापित कर देता है, जहां किसी कर्मचारी से ऐसी सूचना प्राप्त होती है वहां- किसी स्थायी कर्मचारी की दशा में, उसे पेंशन, उपदान, भविष्य निधि संबंधी ऐसे फायदे तथा ऐसे अन्य पफायदे, जो कि सरकारी सेवा से नियत तारीख को निवृत्त होने की दशा में उसे प्रोदभूत होते देखकर सेवा-निवृत्त हो जाने दिया जाएगा। किसी अस्थायी कर्मचारी की दशा में, राज्य सरकार के विधमान सेवा-नियमों के अनुसार उसे सूचना देकर या सूचना के बदले पारिश्रमिक देकर, उसकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी. 6. पूर्वगामी उपधाराओं में निर्दिष्ट किसी वाद के होते हुए भी – पशु चिकित्सा विभाग के नियोजन में से किसी ऐसे व्यकित की जिसके लिये कोर्इ अनुमानसिक कार्यवाही लंबित हो या जिसे उसकी सेवासमापित संबंधी या अनिवार्य सेवानिवृति संबंधी कोर्इ सूचना या आदेश इस अधिनियम के आरंभ होने की तारीख के पूर्व जारी किया जा चुका हो, निगम में स्थानान्तरित नहीं किया जाएगा और उक्त तारीख के पश्चात ऐसे व्यकित के संबंध में ऐसी रीति में तथा ऐसे कर्मचारी ————- यदि राज्य सरकार के किसी कर्मचारी की सेवाएं निगम की उपधारा 1 के अधीन अंतरित हो गर्इ हो तो ऐसे अंतरण के पश्चात निगम कइस बात के लिए संक्षम होगा कि वह ऐसे कर्मचारी के विरूद्ध ऐसी अनुशासनिक या अन्य कार्यवाही जो वह उचित समझे ऐसे कर्मचारी के उस समय के जबकि वह राज्य सरकार की सेवा में था, किसी कार्य या कार्यलोप या आचरण या अभिलेख का ध्यान में रखते हुए करें।

निगम का समापन

30- निगम का समापन राज्य सरकार के आदेश से तथा ऐसी रीति में, जैसी रीति में, जेसी कि वह निदेशित करे किया जायेगा अन्यथा नहीं.

निदेशक की क्षतिपूर्ति.
31- 1. प्रत्येक निदेशक की समस्त ऐसी हानियों तथा व्ययों के लिये, जो उसके द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में या कर्तव्यों निर्वहन के संबंध में उपगत किए गए हो, असवाय उन हानियों तथा व्ययों के जो उसके ऐसे कार्य या कार्यलय जो तत्समय प्रबृत किसी निधि के अधीन अपराध है, के करण हुए हों, क्षतिपूर्ति निगम द्वारा की जाएगी। 2. कोर्इ निदेशक किसी भी ऐसी हानि या ऐसे व्ययों के लिये उत्तरदायी नहीं होगी जो निगम की ओर से अर्जित की गर्इ या ली गर्इ किसी सम्पतित या प्रतिभूति के मूल्य की या उस पर के हक की अपर्याप्तता या कमी के कारण अथवा किसी ऋणी के या निगम के प्रति बाध्यताधीन किसी व्यकित के दिवाले या संदोष कार्य के कारण अथवा उसके संबंध में अपने पद के कर्तव्यों के निष्पादन में सदभावपूर्वक की गर्इ किसी बात के कारण निगम को उठाने पड़े हों।
निदेशकों की नियुकित में त्राुटियां होने के कारण कार्यो आदि का अविधिमान्य न होना
32- 1. बोर्ड का या बोर्ड की किसी समिति का कोर्इ भी कार्य या कार्यवाही केवल इस कारण अविधिमान्य नहीं होगी कि- यथासिथति बोर्ड या समिति में कोर्इ रिकित है या उसके गठन में कोर्इ त्राुटि है, या निगम के निदेशक के रूप में या समिति के सदस्य के रूप में कार्य करने वाले किसी व्यकित के नामनिदेशन में कोर्इ त्राुटि है, या यथासिथति बोर्ड या समिति की प्रकि्रया में कोर्इ त्राुटि या अनियमितता है. 2. निगम के निदेशक के रूप में या बोर्ड की किसी समिति के सदस्य के रूप में सदभावपूर्वक कार्य करने वाले किसी व्यकित द्वारा किए गए किसी कार्य को केवल इस आधर पर अविधिमान्य नहीं समझाा जायेगा कि वह व्यकित निदेशक या सदस्य होने के लिये निरहित था या यह कि उसकी नियुकित में कोर्इ त्राुटि थी।
निगम के कर्मचारीबन्द लोक सेवक होंगे
33- निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को या ऐसे अन्य व्यकित को, जिसे निगम या राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत किया जाए, जबकि वे इस अधिनियम के उपबन्धों में से किसी उपबन्ध के अनुसरण में कार्य कर रहे हों या जबकि उनका इस प्रकार कार्य करना तात्पर्यित हो, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 ;1860 का सं. 45द्ध की धारा 21 के अर्थ के अंतर्गत लोक सेवक समझा जाएगा.
इस अधिनियम के अधीन की गर्इ कार्रवाही का संरक्षण
34- इस अधिनियम के अनुसरण में सदभावपूर्वक की गर्इ या की जाने के लिये आशयित किसी बात से हुर्इ या संभाव्यत: होने वाली किसी हानि या नुकसान के लिये निगम के विरूद्ध या इस अधिनियम के अधीन किन्ही कृत्यों का निर्वहन करने के लिए निगम द्वारा प्राधिकृत किए गए किसी अन्य व्यकित के विरूद्ध के विरूद्ध कोर्इ भी वाद या अन्य विधिक कार्यवाही नहीं होगी।
विश्वस्तता तथा गोपनीयता की घोषणा
35- निगम का प्रत्येक निदेशक, संपरीक्षक, अधिकारी या अन्य कर्मचारी या राज्य सरकार का कोर्इ ऐसा कर्मचारी, जिसकी सेवाओं का उपयोग निगम द्वारा किया जाता है, अपना कर्तव्य ग्रहण करने के पूर्व विश्वस्तता तथा गोपनीयता की घोषणा विनियमों द्वारा विहित किए गए प्रारूप में करेगा।
शकितयों का प्रत्यायोजन
36- बोर्ड इस अधिनियम के अधीन की अपनी शकितयों तथा कृत्यों में से ऐसी शकितयां तथा कृत्य, जिन्हें वह आवश्यक समझे, बोर्ड की किसी समिति को या निगम के अध्यक्ष या पबंध निदेशक या किसी अन्य अधिकारी को प्रत्यायोजित कर सकेगा।
नियम बनाने की राज्य सरकार की शकित
37- 1. राज्य सरकार इस अधिनियम के उपबंधों को प्रीाावशील करने के लिए ऐसे नियम बना सकेगी जो इस अधिनियम के उपबंधों से अंसंगत न हों. 2. बोर्ड के अधीन बनाए गए समस्त नियम विधान सभा के पटली पर रखे जाऐंगे।
विनियम बनाने की निगम की शकित
38- 1. निगम, राजय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, उन समस्त विषयों के लिए जिनके लिए इस अधिनियम के अधीन कोर्इ नियम नहीं बनाए गए हैं आ

23. कि्रयाकलापों का कार्यक्रम तथा वित्तीय प्राक्कलन का प्रस्तुत किया जाना

24. निगम की निधि

25. निगम के तूलनपत्राों आदि का तैयार किया जाना

26. अधिशेष लाभ का आवंटन

27. लेख तथा सपरा स

28. विवरणियां

29. राजय सरकार की निदेश देने की शकित

30. सरकारी कर्मचारियों के निगम को स्थानान्तरण

31. निगम का समापन

32. निदेशक का क्षतिपूति

33. निदेशक की नियुकित में त्राुटियां होने के कारण कार्यो आदि का अविधिमान्य न होना

34. निगम के कर्मचारी वृद लोक सेवक होंगे

35. इस अधिनियम के अधीन की गर्इ कार्यवाही का संरक्षण

36. विश्वस्तता तथा गोपनीयता की घोषणा

37. शकितयों का प्रत्यायोजन

38. नियम बनाने की राज्य सरकार की शकित

39. विनियम बनाने की निगम की शकित

40. निरसन

मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम संशेधनद्ध

अधिनियम 1984

मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम ;संशोधनद्ध

विधेयक, 1989